डेंगू बुखार के कारण, लक्षण एवं उपचार

डेंगू बुखार के कारण, लक्षण एवं उपचार

इस मौसम में बुखार होते ही हर आदमी के मन में यही डर होता है कि उसे कहीं  डेंगू तो नहीं हो गया डेंगू एक खतरनाक वायरस जिसने दुनिया भर में आतंक मचा रखा है | डेंगू का नाम सुनते ही लोगों के मन में अजीब सा भय होने लगता है और मन में तरह-तरह की शंका होने लगती है कि आखिर अब मेरा क्या होगा   

दुनियाभर में लाखों लोग डेंगू बुखार की चपेट में आते है । शोध के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल लगभग 390 मिलियन लोग डेंगू के इन्फेक्शन का शिकार होते  है । जिनमें से 95 मिलियन लोग रोग ग्रस्त हो जाते है । डेंगू रोग के ज्यादा होने की सम्भावना भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिणी-पूर्वी एशिया, अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका में है । डेंगू बुखार के बारे में पहली बार 1779  में पता चला था लेकिन 20 वीं शताब्दी के आरम्भ में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि यह बीमारी डेंगू वायरस के कारण होती है तथा मच्छर के द्वारा फैलती है । डेंगू बुखार ने महामारी का रूप 2002 में लिया जब रियो-डी-जेनेरा में लगभग 10 लाख लोग इसकी चपेट में आ गये थे । पिछले 10 वर्षों में भारत में भी डेंगू के रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है ।

 

 

डेंगू बुखार क्या है- डेंगू एक वायरल बुखार है जो मादा मच्छर के काटने से फैलता है, जो एडीज प्रजाति का होता है, इस मच्छर के काटने पर विषाणु तेजी से मरीज के शरीर में अपना असर दिखाते है जिसके कारण तेज बुखार और सर दर्द होने लगता है ।  इस बुखार को हड्डीतोड़ बुखार भी कहते है, क्योंकि इससे पीड़ित व्यक्ति को इतना दर्द होता कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी । डेंगू होने पर मरीज के खून में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घटती है जिसके कारण मरीज की जान जोखिम में पड़ जाती है ।

डेंगू बुखार का कारण- डेंगू वायरस (डीईएनवी 1-4 सीरोटाइप) के कारण होता है। चार डेंगू वायरसों में से किसी एक से मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है जो दिन के समय काटता है तथा यह मच्छर गर्मी और बारिश के दिनों में पनपता है, लेकिन मुख्य बात यह है कि डेंगू मच्छर हमेशा साफ पानी में पनपता है जैसे छत पर लगी पानी की टंकी, कूलर का पानी, गमलों में जमा पानी इत्यादि ।

डेंगू बुखार के लक्षण- वैसे तो डेंगू का सामान्य लक्षण बुखार है, लेकिन ये सामान्य बुखार से अलग होता है डेंगू बुखार की तीव्रता काफी अधिक होती है और कमजोरी के साथ चक्कर भी आते हैं संक्रमण बढ़ने के साथ शरीर कमजोर होता जाता है और भी लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे-

तेज बुखार- डेंगू होने की स्थिति में काफी तेज़ बुखार होता है जो संक्रमण होने के कारण होता है ।  बुखार 100 से 105°F तक पहुंच जाता है और लगभग एक सप्ताह तक रहता है, जो डेंगू के लक्षणों की ओर इंगित करता है

रक्तचाप कम होना- डेंगू बुखार में रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है

                                             

शरीर में तेज दर्द होना- डेंगू में बुखार के साथ सिर दर्द, आंखों में दर्द, बदन में दर्द और जोड़ों में दर्द के लक्षण दिखाई देते हैं

उल्टी- डेंगू रोग में बुखार के साथ बार-बार उल्टी होती है और यह उल्टी कुछ खाने और पीने के बाद होती है, जो लिवर एंजाइम की गड़बड़ी के कारण होती है तथा शरीर में पानी की कमी आ जाती है जो डेंगू खतरनाक लक्षण है

त्वचा पर लाल रंग के निशान - बुखार आने के तीसरे या चौथे दिन के बाद अगर त्वचा पर लाल रंग के चकते दिखाई देने लगते है जो डेंगू बुखार का संकेत है

कमजोरी - डेंगू बुखार में रोगी को कमजोरी और सुस्ती छाने लगती है तथा चक्कर आने लगते है

प्लाजमा लीकेज- डेंगू बुखार का सबसे खतरनाक लक्षण होता है जिसका अल्ट्रासाउंड करवाने से पता चलता है यह अवस्था बुखार के 3 दिन बाद होती है रोगी के शरीर का तापमान कम होने लगता है तथा लगातार उल्टी, और पेट दर्द होने लगता है

असामान्य रक्तस्त्राव- बुखार के साथ नाक या मसूड़ों से खून बहने लगता है, आँखे लाल हो जाती हैं, गले में खराश और शरीर में सूजन आ जाती है जो प्लेटलेट्स की कमी होने के कारण होता है जिससे असामान्य रक्तस्राव होने लगता है

डेंगू का कैसे पता करे- डेंगू का पता लगाने के लिए डॉक्टर द्वारा एनएस 1 का टेस्ट किया जाता है, जिसके आधार पर डॉक्टर यह तय करता है कि डेंगू हुआ है या नहीं ।

डेंगू का उपचार- वैसे तो डेंगू की कोई दवा नही आती है परन्तु कुछ सावधानियां रख कर डेंगू पर नियन्त्रण किया जा सकता है, जैसे-

  • घर में लगे कूलर और अन्य छोटे बर्तन (प्लास्टिक के बर्तन, गाड़ी के पुराने टायर, वॉटर कूलर और पालतू पशुओं को पिलाए जाने वाले पानी के पात्रों को सप्ताह में कम से कम एक बार साफ करना चाहिए ।

 

  • पानी के जिन स्त्रोतों को खाली नहीं किया जा सकता उनमें लारवानाशी का उपयोग करना चाहिए ।

 

  • पानी भंडारण के बर्तनों को ढक्कन से ढंका जाना चाहिए।

 

  • मच्छरों के काटने से बचने के लिए एरोसोल का उपयोग किया जाना चाहिए।

 

  • बरसात के मौसम के दौरान सभी हाथों और पैरों को ढंकने वाले कपड़े पहनने चाहिए।

 

  • दिन में सोने के दौरान मच्छरदानी या मच्छर भागने वाले उत्पादों का उपयोग किया जाना चाहिए।

 

  • मच्छरों के काटने से बचने के लिए खिड़की की स्क्रीन (खिड़की पर तार की जाली), कीटनाशकयुक्त मच्छरदानी, कॉइल्स (मच्छर भागने वाली अगरबत्ती) और कीटनाशकों का छिड़काव जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों का उपयोग किया जाना चाहिए।

 

 

"डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण हर व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है" प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह डेंगू के बारे में जागरूकता फैलाये और  डेंगू मुक्त भारत मिशन में अपना योगदान दें ।