विश्व बधिर दिवस

विश्व बधिर दिवस

विश्व बधिर दिवस सितम्बर महीने के अंतिम रविवार को मनाया जाता हैयह दिवस बधिर व्यक्तियों और उनके परिवारों के सदस्यों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही नहीं मनाया जाता है, अपितु इस दिवस को मनाने का उद्देश यह है कि लोगों में यह जागरूकता पैदा करना है कि किस प्रकार बधिर समाज देश के राजनैतिक, सामाजिक विकास में अपना योगदान देकर देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में सहायक सिद्ध होता है। बहरे लोगों के समुदाय की चुनौतियों और उपलब्धियों के प्रति जनसामान्य का ध्यान आकर्षित करना हैं।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, विश्व में बधिरता से पीड़ित लोगों की संख्या पूरी आबादी की लगभग 5% से उपर है, बधिरता से पीड़ित लोगों की संख्या 466 मिलियन है उनमें से 432 मिलियन व्यस्क और 34 मिलियन बच्चे है। सन 2050 तक यह संख्या 900 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है यानि प्रत्येक 10 में से 1 व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो जायेगा।

 

बहरापन क्या है:-

एक व्यक्ति जो सामान्य आवाज को सुन नहीं पाता है। सुनने की सामान्य क्षमता 25 डेसीमल होती है, इसका निर्धारण दो प्रकार की आयु श्रेणी में किया गया है- वयस्क (पंद्रह वर्ष व उससे अधिक आयु वर्ग के व्यक्ति) में सुनने की क्षमता चालीस डेसीबल से अधिक हैं, तो वह बहरापन का शिकार हो सकता है । बच्चों (जन्म से - चौदह वर्ष तक) में  सुनने की क्षमता तीस डेसीबल से अधिक हैं तो वह बहरापन का शिकार हो सकता है।

बहरेपन को तीन प्रकार से विभाजित किया गया है। हल्की, मध्यम और गम्भीर। यह एक या दोनों कानों को प्रभावित कर सकता है और आपसी संवाद तथा तेज आवाज को सुनने भी काफी कठिनाई होती है। सुनने की समस्या हल्के से धीरे-धीरे गम्भीर होती जाती है। इस प्रकार बहरेपन के शिकार लोगों में सुनने की क्षमता बिल्कुल नष्ट हो जाती है और वे सांकेतिक भाषा का प्रयोग करने लग जाते है।

बहरेपन का कारण:- व्यक्ति बहरेपन का शिकार दो तरह से हो सकता है प्रथम कारण तो आनुवांशिक या जन्मजात होता है और दूसरा कारण किसी बीमारी की वजह (स्व: अर्जित) से शिकार हो जाता है।

जन्मजात:- यह समस्या बच्चे के जन्म के समय या तुरंत बाद ही हो जाती है। यह विकृति आनुवांशिक भी हो सकती है या फिर महिला को गर्भ के समय कोई समस्या रही हो। जन्मजात बहरेपन की समस्या निम्न कारणों से हो सकती है-

  • अगर महिला को गर्भावस्था के दौरान रूबेला या अन्य कोई संक्रमण की बीमारी रहीं हो। 
  • गर्भवती महिला गर्भावस्था के दौरान उचित प्रकार से पोषक तत्वों को नहीं लेती है।
  • समय से पूर्व जन्म और कम वजन
  • अगर बच्चा जन्म के समय रोया नहीं हो
  • नवजात शिशु जन्म के समय सीवियर पीलिया का शिकार हो जाता है तो बहरेपन का शिकार हो सकता है।

स्व: अर्जित:- यह समस्या भयंकर बीमारी या मानवीय कारकों की वजह से होती है जो निम्न है:-

  • दिमागी बुखार, मीजल्स तथा मम्प्स की वजह से हो सकता है
  • कान में लम्बे समय से संक्रमण रहा हो
  • कान से लगातार मवाद आ रही हो
  • टीबी, मलेरिया तथा जन्म के समय किसी संक्रमण की दवा का सेवन किया हो
  • सिर या कान पर चोट लगने से
  • लगातार शोरगुल वातावरण में रहने से
  • मनोरंजन के साधनों को उच्ची आवाज में बजाना या लगातार हैडफ़ोन का उपयोग करना
  • उम्र के साथ कौशिकाओं का नष्ट होना
  • कान की नली में किसी वस्तु के फसने से

 बहरेपन का प्रभाव:- बहरेपन के शिकार व्यक्ति को कई तरह के प्रभाव है जैसे:-

कार्यात्मक प्रभाव-  बहरेपन का शिकार व्यक्ति दूसरों के साथ वार्तालाप नहीं कर पाता है। बच्चों में इसी कारण बोलने की शक्ति का विकास नहीं हो पाता है।

सामाजिक प्रभाव:- बहरेपन की वजह से व्यक्ति आपसी वार्तालाप नहीं कर पाता है, जिसके कारण वह समाज से अलग-थलग पड़ जाता है और एकांकी जीवन जीने लग जाता है, यह समस्या खासतौर से वृद्ध लोगों में ज्यादा आती है।

आर्थिक प्रभाव:- बहरेपन की वजह से व्यक्ति पर व्यक्तिगत रूप से आर्थिक प्रभाव पड़ता ही है परन्तु इसका प्रभाव राष्ट्र भी पड़ता है।  बहरेपन की वजह से शिक्षा नहीं मिल पाती है जिसके कारण देश की बेरोजगारी दर भी बढ़ती है, जिसके कारण आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। 

बहरेपन को रोकने का उपाय:- बहरेपन को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 15 साल तक के 60 प्रतिशत बच्चों में उचित स्वास्थ्य देखरेख के द्वारा बहरेपन को दूर किया जा सकता है।

  • मीजल्स, मम्प्स, दिमागी बुखार रूबेला का टीकाकरण करवा कर बहरेपन की दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  • जो दवाईयां सुनने की शक्ति को नुकसान पहुंचाती है, वो दवाईयां चिकित्सक की सलाह के बिना ना ले।
  • नवजात शिशु की जन्म के समय कान की जाँच अवश्य करवाये ताकि समय रहते है इलाज किया जा सके।
  • कान में नुकीली वस्तुएं डालने से बचना चाहिए।
  • शोरगुल वाले स्थान पर जाने से बचे।
  • लम्बे समय तक संगीत ना सुने, विशेषतौर से हेडसेट से और ना ही लम्बे समय तक टीवी देखें। 
  • चिकित्सक की सलाह के बिना, अपने कान में किसी भी तरह के तेल, तरल पदार्थ और दवाई ना डालें।  
  • नीम-हकीम या अयोग्य व्यक्ति से कान की सफाई ना करवाएँ

डॉक्टर की सलाह कब लेनी है:- अगर आपको निम्न लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले-

  • कान में तेज दर्द हो रहा है।  
  • कान से मवाद या रक्त का स्त्राव हो रहा है।  
  • अगर आपकी सुनने की क्षमता में परिवर्तन आ रहा है।  

 

विश्व बधिर दिवस का उद्देश्य बहरेपन के शिकार लोग स्वाभिमान और आत्मसंबल की जिन्दगी जी सके और उन्हें अहसास हो कि वो भी देश के विकास में अपना अहम रोल निभा सकते है