शिशु को माँ का दूध कैसे पिलाएं

शिशु को माँ का दूध कैसे पिलाएं

प्रथम बार माँ बनना किसी भी महिला के लिए अदभुत, अविश्वसनीय होता है | नवजात के आगमन पर ख़ुशी सातवें आसमान पर होती है परन्तु शिशु के जन्म के पश्चात के कई माताओं को स्तनपान कराते समय असहनीय पीड़ा होती है और उनके स्तन की निप्पल भी सही प्रकार से बाहर निकली हुयी नही होती है | स्तनपान करवाते समय अगर आपको  दर्द महसूस हो रहा हो तो सबसे पहले यह ध्यान देना है कि आपके शिशु ने स्तन को सही ढंग से मुंह में नहीं लिया है या नही | कई बार शिशु को स्तनपान करवाते समय शुरू में दूध उतरने के समय होने वाली झुनझुनी और चुभन के समय दर्द होता है | अगर यह दर्द आपको स्तनपान करवाने के बाद भी महसूस हो रहा है और दर्द के बावजूद अगर आप शिशु को दूध पिलाती रहेंगी तो आपके निप्पल पर जख्म हो सकता हो सकता है|

अत: हम इस लेख के माध्यम से आपको यह बतायेंगे कि शिशु को उचित तरीके से स्तनपान (लैचिंग) कैसे करवाये, इसके लिए किस प्रकार अभ्यास की जरूरत पड़ती है| अगर एक बार आपने इसकी तरकीब सीख ली तो यह माँ और शिशु  दोनों के लिए आसान रहेगा|

अपने शिशु को उचित तरीके से दूध पिलाने के लिए आपको निम्न विधि अपनानी है :-

  • पीठ पर अच्छा सहारा लेकर आराम से बैठें या लेट जाएं |
  • अपने शिशु को ऐसी स्थिति में लाएं कि उसका चेहरा आपकी तरफ हो और उसके कान, कंधे और कूल्हे एक सीध में हों|
  • यह सुनिश्चित कर ले कि आपके स्तन को पूरी तरह मुंह में लेने के शिशु का मुंह सही तरीके से खुला है या नहीं|
  • ध्यान रहे कि शिशु की जीभ, निचला होठ और ठोडी सबसे पहले आपके स्तन को स्पर्श करें|
  • एक बार स्तन मुंह में ले लेने पर शिशु की ठोड़ी आपके स्तन को स्पर्श करनी चाहिए, जबकि नाक खुली रहे|


इन प्रकार शिशु को बेहतर तरीके से स्तनपान करवाने में मदद मिलेगी तथा शिशु को भी भरपूर मात्रा में दूध मिल पाएगा | शिशु को अपनी गोद में आरामदायक स्थिति में लेटाने के लिए आप स्तनपान के लिए विशेष प्रकार के तकिये का भी इस्तेमाल कर सकती हैं जो बाजार में नर्सिंग तकिये के नाम से आसानी से मिल जाता है, इस प्रकार अपने शिशु को दूध पिलाने के लिए आपको नीचे नहीं झुकना पड़ेगा |
शिशु को अपने स्तन के पास ले जाते वक्त उसकी कमर और गर्दन को अपने हाथ से पूरा सहारा दें | जब तक आपका शिशु स्तन को मुंह में लेकर दूध पीना शुरू नहीं कर देता तब तक आपको  इस प्रक्रिया की जरूरत पड़ेगी, जिसमें आप उसके सिर को आसानी से सहारा दे सकें | शिशु को अपनी गोद में या फिर या फिर बाजुओं के नीचे थामने का प्रयास करें |

कुछ अन्य अवस्थाएं जैसे अर्धलेटी अवस्था में स्तनपान करवाने  से आपका शिशु दूध पीने के लिए सहज हो तो आपके लिए भी यह कारगर रहेगा | इस अवस्था में आपको अधलेटी स्थिति में रहकर शिशु को अपने पेट या कंधों पर आड़ा रखना होता है |

अगर इस अवस्था में आपका शिशु तुरंत दूध पीना शुरू कर देता है तो यह अच्छा संकेत है कि वह अच्छे से दूध पी रहा है। शिशु को दूध पिलाने के दौरान उसके दूध पीने की तरीके में होने वाले बदलाव भी आपको महसूस होना चाहिए | वह कभी बहुत कम समय मगर बहुत जल्दी-जल्दी चूसेगा। और कभी धीमे-धीमे और लंबे घूंट गहराई से चूसेगा | दूध पीते समय वह बीच में कुछ देर के लिए रुक भी सकता है और दोबारा दूध पिलाने की कोशिश के बिना ही दूध पीना शुरू कर सकता है |

अगर शिशु कुछ घूंट दूध पीते ही सो जाए तो आपको यह ध्यान रखना है कि स्तन मुंह में लिया हुआ है या नही और आपको शिशु का दूध गटकना सुनाई देना चाहिए |

यदि आप अपने दूध पीते शिशु को नीचे की ओर देखना चाहते है तो उसका सिर पीछे की तरफ ऐसे टिका होना चाहिए कि आपको अपना स्तन उसकी नाक से दूर करने के लिए दबाव न देना पड़े। आपके स्तन का गहरे रंग वाला घेरा (एरियोला) शिशु के ऊपरी होंठ के ऊपर दिखाई देना चाहिए, न कि निचले होंठ के नीचे |

एक बार आपका शिशु जब दूध पीना शुरू कर दे,  वह तब तक सहज और आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए, जब तक कि वह पर्याप्त मात्रा में दूध न पी ले | अगर वह इधर-उधर हिल रहा है तो संभवत: यही कारण हो सकता है कि शिशु ने  सही तरीके से स्तन मुंह में नहीं लिया है |

शिशु के जन्म के दो-तीन दिन बाद अगर आपको तेजी से दूध उतरने लग जाता है तो आपको कुछ मिनटों के बाद शिशु को दूध पिलाने से रोकना होगा, ताकि उसे डकार दिलवा सकें जिससे गैस बाहर निकल सके |

कई बार दूध पीने से पहले शिशु अपना सिर या मुँह को इधर-उधर या ऊपर-नीचे करता रहता हैं। यह शिशु का स्वाभाविक व्यवहार है  | इससे शिशु को निप्पल ढूंढने और आपके  स्तन से दूध उतरने के लिए उत्तेजित करने में मदद मिलती है |

पेट भरने के पश्चात शिशु या तो अपनी मर्जी से ही स्तन छोड़ देगा या फिर आप स्तन को धीरे से ऊपर उठाएंगी तो वह इसे आसानी से निकलने देगा |
इस प्रकार शिशु को उचित तरीके से स्तनपान करवाने के लिए आपको थोड़ी सी मेहनत की की जरूरत पड़ती है। लेकिन साहस, धैर्य और समय के साथ यह काफी आसान हो जाएगा, जो आपके शिशु की सेहत के लिए बड़ा लाभदायक होगा |

अगर यह सब करने के बाद भी आपका शिशु सही तरीके से स्तनपान नही कर रहा है तो आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले  |