कैसे पता करे शिशु को कब्ज है या नहीं ?
Here is the complete information related to how to know that your child is suffring from Constipation or not.

शिशुओं में कब्ज (कॉन्स्टिपेशन) होना ज्यादा आम है। यह समस्या स्तनपान करने वाले शिशुओं की तुलना में बोतल से दूध पीने वाले शिशुओं में ज्यादा होती है ।
शिशु को कब्ज है या नहीं है, इसका पता लगाना आसान नहीं होता है, कई शिशु मल त्याग करते समय यदि जोर लगा रहा है, तो यह जरुरी नहीं है कि उसे कब्ज है। वह पतली पॉटी करते समय भी जोर लगा सकता है।
शिशुओं में मल त्याग करने का तरीका भी अलग-अलग हो सकता है, किसी दिन शिशु का मल ठोस भी हो सकता है और किसी दिन पतला हो सकता है। यह समस्या शिशु के आहार पर भी निर्भर करती है कि शिशु स्तनपान कर रहा है या फिर बोतल से दूध पी रहा है । कई बार नवजात शिशु एक ही दिन में कई बार पतले मल का त्याग कर सकता है या फिर सप्ताह में एक या दो बार, परन्तु बोतल से दूध पीने वाला शिशु अक्सर ठोस मल का ही त्याग करता है ।
शिशु को कब्ज की बीमारी है या नहीं इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि शिशु मल का त्याग करते समय रोता है या अलग प्रकार की आवाज निकालता है, इसके अलावा अन्य संकेत है जिनके द्वारा कब्ज का पता लगाया जा सकता है ।
- सप्ताह में एक या दो बार मल त्याग करना ।
- मल के साथ बदबूदार गैस का निकलना ।
- मलत्याग करते समय या इससे पहले शिशु का रोना और असहज होना, चिड़चिड़ापन या दर्द होना ।
- सूखी और कठोर पॉटी होना, जिसे बाहर निकालने में शिशु को मुश्किल हो रही हो
- भूख कम लगना ।
- पेट का टाइट हो जाना ।
- शिशु के मल में खून आ रहा है या शिशु का उचित विकास नहीं हो पा रहा है तो कब्ज का संकेत हो सकता है ।
कब्ज होने के कौनसे कारक हैं?
शिशु में कब्ज होने के निम्न कारण हो सकते हैं, जैसे
- बोतल से दूध पिलाने पर:- बोतल से दूध पीने वाले शिशुओं में कब्ज होने की सम्भावना होती है, क्योंकि माँ के दूध की अपेक्षा फॉर्मूला दूध को पचाना मुश्किल होता है, जिसकी वजह से कब्ज की बीमारी हो सकती है ।
- दूध बदलने से:- कई बार शिशु के माता-पिता द्वारा शिशु के फॉर्मूला दूध को बार-बार बदला जाता है, जिसकों शिशु आसानी पचा नही पाता है जो कब्ज का मुख्य कारण बन जाता है ।
- ठोस आहार की वजह से:- शिशु को जब पहली बार ठोस आहार शुरू किया जाता है तो कब्ज की समस्या हो सकती है क्योंकि शिशु का शरीर ठोस आहार को पचाने के लिए अनुकूल नही होता है ।
डिहाइड्रेशन की वजह से:- अगर शिशु पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ नहीं ले रहा है या स्तनपान नहीं कर रहा है तो शरीर में पानी की कमी आ जाती है जिसकी वजह से शिशु का मल सुखा और टाइट हो जाता है और कब्ज की बीमारी हो सकती है ।
- एलर्जी की वजह से:- अगर शिशु को किसी भी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है या आहार को पचाने की समस्या है तो कब्ज हो सकती है ।
- जन्मजात विकृति:- शिशु में कब्ज का प्रमुख कारण जन्मजात विकृति भी हो सकती है जैसे बड़ी आंत का उचित तरीके से काम नहीं करना या मलद्वार का पूरी तरह से विकसित नहीं होना ।
किस तरह से शिशु की कब्ज का उपचार कर सकते है?
शिशु की कब्ज की बीमारी को दूर करने या शिशु के चिडचिडापन और असहजता को कम करने के लिए निम्न उपाय अपना सकते है:-
- प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थ दे:- अगर शिशु ठोस आहार ले रहा है या फॉर्मूला दूध ले रहा है तो उसे समय-समय पर तरल पदार्थ देते रहे, क्योंकि ठोस आहार और फॉर्मूला दूध शरीर में पानी की कमी कर सकता है ।
- व्यायाम के द्वारा:- शिशु की कब्ज की समस्या दूर करने के लिए शिशु की टांगों को साईकिल के पैडल चलाने की तरह से घुमाएं, जिससे शिशु का मल बड़ी आंत में से आसानी से निकल सकता है ।
- मालिश के द्वारा- अगर शिशु को कब्ज की समस्या है और वह लगातार रो रहा है तथा असहजता महसूस कर रहा है तो मालिश के द्वारा कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है ।
- पर्याप्त मात्रा में फाइबर युक्त आहार दे:- अगर शिशु ठोस आहार ले रहा है तो उसके आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर युक्त आहार शामिल करे । फाइबर युक्त आहार जैसे सेब, नाशपति, स्ट्रॉबेरी और अंगूर आदि छोटे-छोटे हिस्सों में काटकर दे सकते है ।
- पॉटी ट्रेनिंग:- जब आपका शिशु 8 महीने से अधिक हो जाता है और वह संकेतों को समझने लगता है तथा ठोस आहार लेना शुरू कर देता है तो शिशु को पॉटी ट्रेनिंग अवश्य दे । इस समय शिशु की दिनचर्या में भी परिर्वतन आ जाता है इसलिए शिशु को दिन में दो बार सुबह-शाम टॉयलेट जरुर ले जाये, ताकि कब्ज की समस्या उत्पन्न ना हो ।
ये सब उपचार करने के बाद भी अगर शिशु की कब्ज की समस्या ठीक नही हो रही है तो अपने डॉक्टर से परामर्श ले । डॉक्टर की परामर्श के बिना किसी भी तरह के एनिमा या सपोजिटरी का इस्तेमाल ना करे ।
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